वैदिक काल,मध्य वैदिककाल ,उत्तर वैदिक काल या आदिकालादि में जब-जब धर्म का क्षय/विनाश शुरू हुआ या अधर्म का प्रादुर्भाव हुआ तब-तब भगवान् विश्वकर्मा की आराधना वंदना की गयी देवताओं के आचार्य ज्ञान के देव भगवान विश्वकर्मा ने अनेकानेक गणनाओं व् वैज्ञानिक युक्तियों के माध्यम से अनेकानेक अस्त्रों शस्त्रों युक्तियों का निर्माण किया जिससे धर्म की विजय हुई।
आधुनिक काल में यदि आप भी किसी भी व्यवसाय धनोपार्जन या किसी भी निर्माण में विजय श्री चाहते हैं विश्वकर्मा यंत्र व् युक्ति अपनाइये सत-प्रतिशत लाभ मिलेगा यह मेरा दावा है।
यदि आप नियमित भगवान् विश्वकर्मा की आराधना घर में करते हैं तो आप फलीभूत अवश्य होंगे।
यह मेरा व्यक्तिगत व् सार्थक फलीभूत शोध है
कुछ लोग इसे अंध विश्वास कहकर नकार भी सकते हैं परंतु नकारने वाले आखिर कितने धनवान कुलीन हैं ।जो अत्यधिक शक्तिशाली व् धनवान है जिनकी गिनती लाखों करोणों में होती है उनके पास में विश्वकर्मा यंत्र अवश्य मिलता है ।
सूर्य,चंद्रमा,तारों,ग्रहों नक्षत्रों व् देवताओं के आचार्य होने के कारण उनकी सारी गणना भगवान् विश्वकर्मा ही बताते हैं इसी कारण इन सूर्य,चंद्रमा,तारों,ग्रहों नक्षत्रों व् देवताओं पर भगवान् विश्वकर्मा का आधिपत्य है।जो भी व्यक्ति भगवान श्री विश्वकर्मा को प्रशन्न कर लेता है उसकी कुंडली के सारे ग्रहों,नक्षत्रों,की गणना खुद ब खुद ठीक हो जाती है।
रजनीश शर्मा मार्तण्ड
9455502007
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