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आखिर शूद्र जैसे शब्दों का उच्चारण हम सबके लिए क्यों किया जाता है ।जब कि हम महर्षि अंगिरा और देवताओं के आचार्य भगवान विंश्वकर्मा के वंशज हैं।
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प्रश्न- महर्षि अंगिरा कौन थे ?
महर्षि अंगिरा
महर्षि अंगिरा ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं तथा ये गुणों में ब्रह्मा जी के ही समान हैं। इन्हें प्रजापति भी कहा गया है
तथा सप्तर्षियों में वसिष्ठ, विश्वामित्र तथा मरीचि आदि के साथ इनका भी परिगणन हुआ है। इनके दिव्य अध्यात्मज्ञान, योगबल, तप-साधन एवं मन्त्रशक्ति की विशेष प्रतिष्ठा है।
प्रश्न- महर्षि अंगिरा की की महिमा क्या है ?
महर्षि अंगिरा की विशेष महिमा है। ये मन्त्रद्रष्टा, योगी, संत तथा महान भक्त हैं। इनकी "अंगिरा-स्मृति" में सुन्दर उपदेश तथा धर्माचरण की शिक्षा व्याप्त है। सम्पूर्ण ऋग्वेद में महर्षि अंगिरा तथा उनके वंशधरों(विश्वब्राम्हण/विश्वकर्मा) तथा शिष्य-प्रशिष्यों का जितना उल्लेख है, उतना अन्य किसी ऋषि के सम्बन्ध में नहीं हैं।
विद्वानों का यह अभिमत है कि महर्षि अंगिरा से सम्बन्धित वेश और गोत्रकार ऋषि ऋग्वेद के नवम मण्डल के द्रष्टा हैं। नवम मण्डल के साथ ही ये अंगिरस ऋषि प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि अनेक मण्डलों के तथा कतिपय सूक्तों के द्रष्टा ऋषि हैं। जिनमें से महर्षि कुत्स, हिरण्यस्तूप, सप्तगु, नृमेध, शंकपूत, प्रियमेध, सिन्धुसित, वीतहव्य, अभीवर्त, अंगिरस, संवर्त तथा हविर्धान आदि मुख्य हैं।
ऋग्वेद का नवम मण्डल जो 114 सूक्तों में निबद्ध हैं, 'पवमान-मण्डल' के नाम से विख्यात है। इसकी ऋचाएँ पावमानी ऋचाएँ कहलाती हैं। इन ऋचाओं में सोम देवता की महिमापरक स्तुतियाँ हैं, जिनमें यह बताया गया है कि इन पावमानी ऋचाओं के पाठ से सोम देवताओं का आप्यायन होता है।
प्रश्न- महर्षि अंगिरा का वंश तथा वंशावली ?
महर्षि अंगिरा की पत्नी दक्ष प्रजापति की पुत्री स्मृति (श्रद्धा) थीं, जिनसे इनके वंश का विस्तार हुआ।
प्रश्न- विश्वकर्मा कौन थे इनका महर्षि अंगिरा से क्या सम्बन्ध ।
महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ।
शास्त्रों में कहा गया है-
विश्वकर्मा सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है, वह प्रभास ऋषि का पुत्र है और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र का भानजा है। अर्थात अंगिरा का दौहितृ (दोहिता) है।" अंगिरा कुल से विश्वकर्मा का सम्बन्ध तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं।
प्रश्न-भगवान विश्वकर्मा कौन हैं
"शिल्प शास्त्र का कर्ता वह ईश विश्वकर्मा देवताओं का आचार्य है,
(देवताओं का आचार्य - अर्थात देवताओं का गुरु)
प्रश्न- क्या विश्वकर्मा की पूजा वैदिक शास्त्रों में है ?
प्राचीन ग्रन्थों के मनन-अनुशीलन से यह विदित होता है कि जहाँ ब्रहा, विष्णु ओर महेश की वन्दना-अर्चना हुई है, वही भनवान विश्वकर्मा को भी पूजा हुई" विश्वकर्मा" शब्द से ही यह अर्थ-व्यंजित होता है ।
ऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया है ऋग्वेद मे विश्वकर्मा शब्द का एक बार इन्द्र व सुर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ है। परवर्ती वेदों मे भी विशेषण रुप मे इसके प्रयोग अज्ञत नही है यह प्रजापति का भी विशेषण बन कर आया है।
प्रश्न- महर्षि अंगिरा का दौहितृ(दोहिता)
विश्वब्राम्हण क्यूँ नहीं ?
प्रश्न- महर्षि अंगिरा का वंशज शूद्र कैसे ?
---> इस प्रश्न का उत्तर मूक है <----
यह प्रश्न आप सभी विश्वब्राम्हणो (विश्वकर्मा ब्राम्हणों) के लिए है
आखिर शूद्र जैसे शब्दों का उच्चारण हम सबके लिए क्यों किया जाता है ।जब कि हम महर्षि अंगिरा और देवताओं के आचार्य भगवान विंश्वकर्मा के वंशज हैं।
हम सभी विश्वकर्मवंशीय विश्वब्राम्हण हैं अथवा नहीं
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रजनीश शर्मा मार्तण्ड
मार्तण्ड विला
प्लाट न021-एस,
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कानपुर
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9412428656
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भगवान श्री विश्वकर्मा जी अंगिरा वंश में नहीं है,यह तो भृगु वंश से है।
ReplyDeleteकृपया स्पष्ट करें?
विश्वब्राम्हण/विश्वकर्मा)हैं
ReplyDeleteAgar jodhpur rajasthan jangra smaj ki kuldevi k bare m koi jankari h to pls btaye
ReplyDeletePls. Pls. Pls.
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