प्राप्त साक्ष्यों तथा कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी इतिहासकारों के लिए एक ऐसी ऐतिहासिक पुस्तक साबित हुई जिसके अनुसार यह ज्ञात हो सका की लोहारों (विश्वकर्मा वंशीय)का वंश भी शासन प्रभुता में आगे रहा है यह हिन्दू शासन कश्मीर राज्य मे सन 1003 से 1159 तक लगभग 150 सालों तक चला जो अंतिम हिन्दू शासन कहलाया।
लोहार वंश जिसके संस्थापक रानी दिदृदा के भाई संग्रामराज थे संग्रामराज बड़े न्याय प्रिय उदारवादी राजा थे उनके साशन काल में प्रजा सुख-चैन से दिन व्ययतीत कर रही थी किसी भी प्रकार का अभाव व् विकार लोगों में नहीं था।उनके बाद राज सिंहासन अनंतराज को मिला जिन्होंने अपनी वीरता धीरता शौर्यता के बल पर अपने शासन काल में सामन्तों के विद्रोह को छिन्न-भिन्न कर के धराशायी कर दिया तथा अपने सासन क्षेत्र का विस्तार भी किया सासन सत्ता सुचारू रूप से कायम करने में लगभग सफल रहे ।अनंतराज की धर्मपत्नी रानी सूर्यमति में कुशल रानी के गुण विद्यमान तो थे ही साथ साथ कुशल राजनीतिज्ञ व् नेतृत्वकर्ता के गुण भी कूट कूट कर भरे थे। अनंतराज के शासन में उनकी धर्मपत्नी रानी सूर्यमती पूर्ण रूप से हस्तक्षेत व् सहयोग किया करती थी सभी अहम् मुद्दों पर बराबर विचार विमर्श करती थी तथा उनके द्वारा प्रतिपादित नियम व् कानून अकाट्य सिद्ध होते थे स्वयं राजा अनंतराज व् उनका मंत्रिमंडल भी रानी सूर्यमति द्वारा बनाये नियम कानून में कभी कोई कमी नहीं निकाल पाता था ज्यो का त्यों लागू कर दिया जाता था। अनन्तराज के पुत्र कलश थे जिन्होंने कुछ विशेष कार्य नहीं किये कुशल राजा व् नेतृत्व न होने के कारण शासन सत्ता कमजोर क्षीण होती गई जिससे अनंत राज द्वारा विस्तारित क्षेत्र व् राज्य कमजोर होता गया ।
राजा कलश के पुत्र हर्षदेव महाविद्वान,प्रखर बुद्धि,दार्शनिक,कवि थे तथा उनमे कुशल राजा के गुण विद्यमान थे उनको कई विभिन्न भाषाओं एवं विद्याओं का भी ज्ञान था। हर्षदेव धीरे धीरे सासन सत्ता में इतने मुग्ध हो गए उन्हें प्रजा के दुःख सुख से मोह ख़त्म होता गया राज्य में अशांति व्याप्त हो गई भयानक अकाल पड़ गया किसानों साहूकारों से अत्यधिक कर वसूला जाने लगा कर या लगान न देने पर राजा के सैनिको द्वारा कई अलग अलग तरह से दंड का प्रावधान किया जाने लगा जिससे प्रजा आतंकित हो गई।राजा हर्षदेव के अत्याचारपूर्ण कार्यो से त्रस्त होकर उत्सल एवं सुस्सल नामक भाईयों ने राजा हर्ष देव के खिलाफ विद्रोह कर दिया अशान्ति,भुखमरी,दमन,अत्याचार के कारण शुरू हुए विद्रोह में लगभग 1101 ई. में राजा हर्षदेव तथा उनके पुत्र भोज की हत्या कर दी गयी।
हर्षदेव को कश्मीर के 'नीरो' की संज्ञा भी दी गयी है।(नीरो --> रोम का अत्याचारी सासक था पुरे राज्य में आग लगी थी खुद खड़ा होकर सारंगी बजा रहा था कहा जाता है आग खुद नीरो ने लगवाई थी)
राजतरंगिणी के लेखक कल्हण राजा हर्षदेव के आश्रित कवि थे और राजतरंगिणी एक निष्पक्ष और निर्भय ऐतिहासिक कृति है। स्वयं कल्हण ने राजतरंगिणी में कहा है कि एक सच्चे इतिहास लेखक की वाणी को न्यायाधीश के समान राग-द्वेष-विनिर्मुक्त होना चाहिए, तभी उसकी प्रशंसा हो सकती है
श्लाध्य: स एव गुणवान् रागद्वेषबहिष्कृता।
भूतार्थकथने यस्य स्थेयस्येव सरस्वती॥ (राजतरंगिणी, १/७)
इस लिए यह माना जा सकता है कि कल्हण द्वारा रागतरंगिनी में तत्कालीन राजाओं का जो भी वर्णन मिलता है वह किंचित मात्र भी विचलित करने वाला नहीं है।
कल्हण जाति से ब्राह्मण था उसके पिता का नाम चम्पक था। चम्पक लोहार वंशीय राजा हर्ष के मन्त्री थे तथा कल्हण हर्ष का आश्रित कवि था। कल्याण मे राजातरिणी ग्रंथ की जब रचना की उस समय लोहार वंशीय राजा जयंसिह का शासन काल कश्मीर मे चल रहा था।
लोहार वंश का अन्तिम शासक राजा जयसिंह (1128-1155 ई.) थे।उन्होंने अपने युद्ध कला कौशल से यूनानी मूल के यवनों को परास्त किया था तथा राज्य की सीमा विस्तार शुरू कर दिया। जयसिंह कश्मीर में हिन्दू वंश तथा लोहार वंश के अंतिम शासक के रूप में जाने जाते हैं जय सिंह राजतरंगिणी के आखिरी सासक हैं।इसके बाद तुर्क शासकों का इतिहास प्राप्त होता है
कश्मीर में अंतिम हिन्दू लोहार वंश के लगातार आठ राजाऒ का वर्णन मिलता है जिनके नाम निम्नवत हैं
1-संग्रामराज
2-अनन्तदेव
3-कलशदेव
4-हर्षदेव
5-उच्छ्ल
6-सुस्सल
7-शिक्षाचर
8-जयसिंह आदि थे
इन हिन्दू लोहार वंशीय (विश्वकर्मा वंशीय)राजाओं ने मिलकर लगभग157 वर्ष तक जम्मू- कश्मीर मे शासन किया।
रजनीश शर्मा "मार्तण्ड"
9412428656
9455502007
9455502007
Lohar vansh ki rajdhani kaha thi ?
ReplyDeleteश्री नगर
DeleteReply me. Hum bhi kya chhatriy he. 9956270733
ReplyDeleteChhatriy karm se hota h insan....dharm se nhi...
DeleteChhatriya nhi vishwa Brahman kahlate
Deletehn Vishwakarma iske bare me bhi aap pata kar skte hn ...
Jha surname brahmano ka hai in Vishwakarma ka nahi hota
DeleteHim log to panchal bramhan h
ReplyDeleteYes bro
Deleteकौन जानता है पांचाल ब्राह्मण ।। क्या इतिहास है तेरा
Deleteमैं लोहर हूँ
कोई ब्राह्मण नही
Sahi kah rhe ho bhai Lohar log ko VishwaBrahman kaha jata hai lekin aaj ke samay me bahut kam logo ko he pata hai ... Brahman alag hote hn VishwaBrahman Alag ye dhyan rakhna
Deleteभाई हम लोग विश्वकर्मा वंशी ब्राह्मण है और जिसकी आप बात कर रहे हो वे परशुराम वंशी ब्राह्मण है सिर्फ वंश का अंतर है ब्राह्मण दोनों है वे भी और हम भी
Deleteभाई कौन कह दिया की हम ब्रह्माण्ड है हम भगवान विश्वकर्मा के पुत्र है भगवानो का पुत्र उसी तरह श्रोश्रेष्ठ है तो ब्रमंद को और पंडित को हमको भी पूजना चाहिए
DeletePanchal Loharo ka ek Gotra hai. Aap search kar ke bhi dekh sakte hai.
DeleteHim log to panchal bramhan h
ReplyDeleteYes,
DeleteWe are from Gujarat before 10th Century and in this present time we are belongs to Far-west Nepal
ReplyDeleteIf any doubt contact - 9455100070 or 9455502007
Deleteमैं यह जानना चाहता हूं कि आपने बिशबकरमा की वंशावली में मैथिल ब्राह्मण में शामिल हैं क्या इसका प्मप्र है? कृपया भेजे।
ReplyDeleteOp ojha ji contact us 9455100070 or 9455502007
Deleteहाँ भाई मैथिल ब्राह्मण भी विश्वकर्मा वंश में आता है
DeleteNahi bilkul nahi
Deleteकिसने कहा कि मैथिल ब्राह्मण विश्वकर्मा में आता है मैथिल ब्राह्मण पंचगौड़ ब्रहमिनो में आता है गूगल पर जाकर देखें।
DeleteVishwakarma me maithil Brahmin nahi ate.
Deleteश्री रजनीश शर्मा मार्तंड द्वारा लिखित शीर्षक काश्मीर के लोहारो(विश्वकर्मा वंश) का वर्नन विस्तृत रुप मे किया है जो धन्यवाद के पात्र हैं
ReplyDeleteBahut bahut dhanyvaad
DeleteRajasthan lohar Raj vansh ithish
ReplyDeleteBhai राजस्थान में कोई लोहार वंश का शासन नही था ऐसा लगता है।क्यों कि अभी तक हमे नही मिला है
Deleteक्या कश्मीर में लोहार वंश अभी भी है?
ReplyDeleteपूरी दुनिया मे लोहार वंश हैं
Deleteis there any relation between Gadiya lohar of Mewar and lohar vans of Kashmir because both were warriors? please replay me.
ReplyDeleteNo relationship between Gadiya lohar and lohar Vansh in jammu & kashmir ..
DeleteGadiya lohar is the warriors . These people fought with राणा प्रताप।
But Lohar dynasty was a royal dynasty He ruled Jammu and Kashmir for nearly 150 years....
is there any relation between Gadiya lohar of Mewar and lohar vans of Kashmir because both were warriors? please replay me.
ReplyDeleteSir btaye ki kashmir vansh me lohar vansh ka samndh godiya loharo se kya
Deleteभाई बिल्कुल नही है
Deleteमार्तण्ड
Call me at 9455100070,9455502007
Bihar lohar Raj vansh history
ReplyDeleteMai Jharkhand se lohra hu
ReplyDeleteBahut badhiya
DeleteCan someone help me to find out the gotra of Lohar Vansh and kuldevi name?
ReplyDeleteIn Uttrakhand/ Kumaon there is a occupational caste Aagri or Agari.... they are Ironsmith ( iron smelter)... do they also belong to Lohar Dynasty?
ReplyDeleteThe people of the descendants of ironworkers are called blacksmiths.
DeleteCall me at 9455100070 or 9455502007
बहुत सुंदर वर्णन
ReplyDeletePlease tell me sir vishwakarma asal me kis categories me ate hai
ReplyDeleteकिस तरह की कटेगरी की बात हो रही है
Deleteधार्मिक या संवैधानिक
बढ़ई लोहार सुन्नार इत्यादी में आते हैं
DeleteObc
Deleteआपका सम्पर्क नम्बर
ReplyDeleteभाई ब्लॉग में लिखा है फिर भी
Delete9455100070,94555020007
9861195171
ReplyDeleteBhai mera bihar me ghar hai ham lohar jaati se belong karta hu,mujhea lohar ka Etihad janana hai
ReplyDeleteविश्वकर्मा जन्म और कर्म से ब्राह्मण होते हैं ।
ReplyDeleteBhai is baat ka kya proof h
DeleteLohana jaati Kise Kahate Hain loharana Kise Kahate Hain Lohar ki se kehte hain iska Itihaas bataiye
ReplyDeleteLohana jaati Kise Kahate Hain loharana Kise Kahate Hain Lohar ki se kehte hain iska Itihaas bataiye
ReplyDeleteI am a Vishwakarma vanshi. But my 1 question where is a temple make by Vishwakarma ji on one pillar
ReplyDeleteधन्यवाद् जी आपने लोहार वंश के इतिहास के बारे मै जानकारी दी
ReplyDeleteपूरी दुनिया में लोहार वंश है
ReplyDeleteM vashu Panchal kya hm kashmir vansh se taluk rakhte h or rakhte h toh hme ye sb ku nhi bataya gya or Google m hme choti caste ku btate h
ReplyDeleteRoyal ku nhi
M vashu Panchal kya hm kashmir vansh se taluk rakhte h or rakhte h toh hme ye sb ku nhi bataya gya or Google m hme choti caste ku btate h
ReplyDeleteRoyal ku nhi
Or m chata hu hm sb ek unity m rhe or hmara ek symbol ho
Itz_anuj_panchal_03
ReplyDeleteऊपर मेरी इंस्टा आईडी है जिस भाई को जो भी डाउट क्लियर करना है अपना मुझे मेसेज करे
विश्वकर्मा
ReplyDeleteVishvkrma bhagwaan the to hum to unke putra hai pandito ke vans puch Lena sb rishi ke putra the aur bhagwaan bada ki rishi batao aur apne upr kabhi sanchye Mt krna ok bhaiyo
ReplyDeleteअगर पंडितो को ऋषि की संतान कहा हैं तो ऋषि किस्की संतान है ।क्या भाषण दिया है।
Deleteअरे सम्पूर्ण जगत के पिता तो परमब्रह्म ही है।
Mahoday Namaskar
DeleteApne Dharm k bare jankr bahut Khushi Hui. Kripya margdarshan Karen ki hmlogo Ko Sharma likhna chahiye ya Vishwakarma.
Mata sits kai putra lov kai history mai
ReplyDeleteLohar ka name attached hai kaha jata low sai lohewanshi chali jiski rajdhani
Lahore thi ak tarfh sai raghuvanshi ak tarf sai Vishwakarma vansh panchal lohar vansh alga alga desh main raj kiya hai mahrani dicsha and mahrani kota ka name kiyo nahi latai jashraj Singh jasha Singh ramgariya jodh Singh ramgariya bihar ara main maharaj mayordhawj lohavansh loharana jai Vishwakarma
Lohar Shabd ka Arth lo ka Arth javala Lava Hota Hai Har ka Arth Jwala ko Johar Banakar pahne usse Lohar bansh Kahate Hain Jay man Jwala Jay man Tripura Sundari Jay man Aryan Devi Itihaas Nahin Itihaas hai Loha brand Panchal brand
ReplyDeleteभाई आप लिखें कुछ भी उससे फर्क नही पड़ता बस आत्मा में आप विश्वकर्मा बने रहिये
ReplyDeleteलोहार वंश
ReplyDeleteगोत्र दशोरा की कुलदेवी और मंदिर ?
Jay baba vishwakrma
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